देवताओं की मन्दिर पर स्थापित मूर्तियां

देवताओं की आउटडेटेड लिस्ट…! जरूरत है अपडेट्स की !

३३ करोड़ महानुभाओं में आखिर २५६ ही क्यों…?
अभी परसों मेरे घर पर रामचरित मानस का अखण्ड पाठ शुरू हुआ, 24 घण्टों के उपरान्त जब यह पाठ सम्पन्न हुआ तो हवन के दौरान पण्डित जी ने 256 देवताओं की पूजा कराई, और उनमें से 49 देवताओं की पूजा अलग से की गयी, खास बात ये की उन 49 देवताओं को घर से बाहर भोजन कराने की व्यव्स्था की गयी..और उस भोजन -दीप आदि को घर से इतनी दूर रखवाने को कहा गया कि कम से कम मैं उसे न देखूं..और रखने वाले से कहा गया तुम भी पलट कर मत देखना…अब मेरे मन में विचार घुमड़ने लगे कि क्या ये 49 देवता क्या दलित है?  जो इन्हे घर से बाहर खाना खिलाया जा रहा है ! पण्डित जी ने यह भी बताया कि ये बड़े ताकतवर होते है, और उन्हे घर से दूर ही रखन उचित है..उनका आभिप्राय था कि नंग का आदर सत्कार करों पर उचित दूरी बनाकर!! ….
मुझे लगा कि ये दलित होने के साथ खुरापाती  देवता होंगे शायद इस लिए…  खैर अब सवाल उठा कि 33 करोड़ देवताओं में से सिर्फ़ 256 आखिर अन्य के साथ ये सौतेला व्यवहार क्यों पहले ही पण्डित जी ने 49 देवताओं के साथ सौतेला व्यवहार किया..पर चलो भोजन इत्यादि तो दे ही दिया कोई बात नही घर के बाहर ही सही !..पर ये करोड़ो की तादाद में बचे हुए देवताओं का क्या होगा? …मैने पूंछा कि देवता क्या है? बोले राक्षस, मनुष्य और देवता तीन जातियां है…पर मनुष्य में राक्षत्व और देवत्व दोनों के अंश मौजूद है…यानि वर्णशंकर !!१ और मनुष्य के पास ये आप्शन है, कि वह जब चाहे अपने कर्मों से देवता और राक्षस बन सकता है..
खैर राजा नहुक को उनके कर्मों के प्रताप से देवताओं के यहां लाल बत्ती मिल चुकी है, ऐसा हमार पौराणिक इतिहास बताता है..नहुक को इन्द्र का पद मिला था यानि कबिनेट में शीर्ष पद….खैर देवताओं की गुलामी करने वाले उत्तर भारत यानि आर्यावर्त के मानव अभी भी अप्ने पुराने आकाओं की पूजा-अर्चना और उनका गुणगान करना नही भूले परंपरा में अभी भी यह सब बाकी है…चलो कल को शक, कुषाणों, मुसलमान शासकों और अंग्रेजों के सभी सुल्तानों, बादशाहों, फ़कीरों और I.C.S., K.C.B. अफ़सरों की टोटल जमात का कुल जमा कर 33 करोड़ में जोड़ दिया जाए ताकि यह देवताओं की लिस्ट अपडेट हो सके अरसा हो गया यह लिस्ट जहां की तहां आउटडेटेट पड़ी है !….

धर्म और ईश्वर को स्थापित करने में रहस्य का मिश्रण बहुत पुराना है बन्धु…..

Krishna

कृष्ण कुमार मिश्र